इस जीडीपी का विकास दर 5.4 %वाली इकॉनमी में किसी को समझ नहीं आ रहा है कि दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी का विकास दर 5.4% पर कैसे आ गया क्या भारतीयोंकी प्रति व्यक्ति आय पर कैपिटा इनकम इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि वे अब तीन-तीन बच्चे पैदा करने लग जाएं जीडीपी के विकास दर पर वित्तमंत्री ने अभी तक विस्तार से कुछ नहीं कहा इस ठहरी हुई अर्थव्यवस्था में सबके लिए काम नहीं है काम है तो अच्छी सैलरी का काम नहीं है और वहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख कह रहे हैं हर दंपति को तीन बच्चे पैदा करने चाहिए इस
हम बात तो जीडीपी और जीएसटी के नए आंकड़ों पर करेंगे लेकिन चूंकि इसका संबंध उसी आबादी से है जिसे तीन बच्चे पैदा करने की नसीहत दी जा रही है तो पहले उसकी भी बात कर लेते हैं ज्यादा पुरानी नहीं अगस्त के रिपोर्ट है प्रीतिका पी की टाइम्स ऑफ इंडिया की इस रिपोर्ट में दिखाया गया है कि पिछले ती वर्षों में प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने का खर्चा तीन गुना बढ़ गया क्या मिडिल क्लास की कमाई इतनी अधिक बढ़ गई हर साल 5000 से अधिक फीस बढ़ जाती है मां-बाप मुश्किल से प्राइवेट स्कूलों में पढ़ा पा रहे हैं किसी को मोहन भागवत से पूछना चाहिए कि
तीन बच्चों का खर्चा कौन उठाएगा आरएसएस या भारत सरकार भारत की अर्थव्यवस्था ने ऐसा क्या कमाल कर दिया है इसके स्कूल और अस्पताल इतने शानदार हो गए कि अब आप अपना ध्यान तीन बच्चे पैदा करने में लगाइए इसीलिए जरूरी है कि आप जीडीपी के इन गुलाबी और गोल मल आंकड़ों का खेल समझे बहुत से लोग जानना चाहते हैं कि उनके कारोबार से लेकर नौकरी की जो हालत है कमाई हो नहीं रही है क्या देश की अर्थव्यवस्था की भी वही हालत है या ऐसा केवल उनके साथ हो रहा है जीडीपी का आंकड़ा तो यही बता रहा है कि आपके साथ जो भी हो रहा है वह इसलिए हो रहा है क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था तरक्की नहीं कर रही है रुकावट ठहराव आ चुका है जब से इस साल की दूसरी तिमाही यानी जुलाई से सितंबरका आंकड़ा आया है चुप्पी पसर गई है इस बार की गिरावट बहुत ज्यादा है जुलाई सितंबर2023 में भारत की जीडीपी का विकास दर 88.1 % था जुलाई सितंबर 20224 में भारत की जीडीपी का विकास दर 5.4 % पर आ गया है 2.7 % की गिरावट बहुत ज्यादा होती है इतने में काफी कुछ इधर से उधर हो जाता है कांग्रेस लगातार कह रही है कि आर्थिक तरक्की के सरकारी आंकड़े बनावटी हैं कई बार लगता है कि ऐसे विषय हमारी समझ के दायरे से बाहर हैं
लेकिन ऐसा नहीं है ध्यान से पढ़ने और सुनने पर आर्थिक हिसाब किताब का मसला समझ आने लग लगता है आपकी आर्थिक हालत इतनी खराब क्यों है पता चल जाता है आमतौर पर आप एक अखबार पढ़ते हैं लेकिनहमने इस वीडियो में कई अखबारों को शामिल किया है कई तरह के नजरिए को शामिल किया है ताकि खुद भी समझ सके हम और आपको भी बता सकें कि भारत की अर्थव्यस्था की सच्चाई क्या है राज्य दर राज्य आप देखेंगे गरीब होती जनता की संख्या ज्यादा होती जा रही है 80 करोड़ जनता मुफ्त अनाज पर आश्रित है यही नहीं आपको बताया जाता है कि प्रति व्यक्ति आय $800 है भारत में लेकिन अगर आप चोटी के % लोगों की आमदनी को इसमें से निकाल दें तो
प्रति व्यक्ति आय घटकर $130 पर आ जाती है यानी जब आपको बताया जाता है कि भारत की प्रति व्यक्ति आय $800 है तो इसमें अंबानी अदानी से लेकर 1%अति अमीर लोग भी शामिल है जैसे ही उनकी आय आप अलग करते हैं प्रति व्यक्ति आय 1100 $0 पर आ जाती है $30 का मतलब 9600 करीब-करीब जो दुनिया के कई गरीब देशों की प्रति व्यक्ति आय से भी कम है यह है भारत के लोगों की आर्थिक क्षमता देश की सच्चाई मंत्रियों के दावों और अखबारों की हेडलाइन से काफी अलग है देश के कई आर्थिक विशेषज्ञ लिख रहे थे कि भारतीय आशावादी हैं लेकिन सच्चाई कुछ और है अलग-अलग कारण बताए जा रहे हैं कोई कह रहा है महंगाई ज्यादा है कमाई बढ़ नहीं रही सरकार का खर्चा भी बहुत कम है शहरों में उपभोग बहुत घटा है लेकिन सरकार मानती ही नहीं कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार पर कस्क ब्रेक लगा है एक सवाल और है इस साल की पहली तिमाही और दूसरी तिमाही यानी अप्रैल से लेकर सितंबर तक के आंकड़े दिखा रहे हैं कि गाड़ी फंस तो गई है लेकिन तब भी रिजर्व बैंक से लेकर सरकार के दावे कुछ और ही अलग नजर आरिजर्व बैंक की तरफ से अनुमान के आंकड़े छपते रहते हैं इस साल भारत
इस साल भारत जीडीपी का विकास दर कितना रहेगा रिजर्व बैंक भी अपनी प्रेस रिलीज में यह अनुमान जारी करता है महाराष्ट्र चुनाव से पहले 9 अक्टूबर को भारतीय रिजर्व बैंक की प्रेस रिलीजकहती है कि 2024 25 की दूसरी तिमाही में जीडीपी का विकास दर 7.0% रहेगा इसके 15 दिन के भीतर एक और अनुमान जारी किया जाता है जिसमें जीडीपी का विकास दर 7.0 % से घटाकर 6%.8 %कर दिया जाता है इसका मतलब है कि रिजर्व बैंक को सूचना मिल रही थी कि जीडीपी की रफ्तार थम रही है लेकिन क्या रिजर्व बैंक देश को सही सूचना दे रहा था हमारा यह सवाल है भारतीय रिजर्व बैंक जब अनुमान जारी करता है तो उसके पास कुछ तो आंकड़े होते होंगे कुछ तो आधार होता होगा उसके सामने जो सूचनाएं रखी गई थी 8 या 7 % का ही इशारा कर रहे थे या रिजर्व बैंक को भी 5.4 % जैसी स्थिति नजर आने लगी थी आखिर भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़े और अनुमान की क्या विश्वसनीयता है कि न महीने की छोटी सी अवधि के हिसाब में 1.6 फ का अंतर आ जाता है यह मामूली अंतर नहीं है हम कभी इन सवालों के ठोस जवाब नहीं जान पाते हैं रिजर्व बैंक का अनुमान इतना गलत साबित हु हुआ है कैसे गलत हो गया इस पर रिजर्व बैंक की सफाई आनी चाहिए क्या रिजर्व बैंक अपनी अगली बैठक के बाद इसका जवाब देगा कि जिस तिमाही की जीडीपी का विकास दर वह 7 % और 6.8 प्र बता रहा था उसकी जीडीपी का विकासदर 5.4 % पर आया है यह कैसे हुआ क्या यह आंकड़े गुलाबी तस्वीर बनाने के लिए जारी किए जाते हैं ताकि अखबारों में रिजर्व बैंक के नाम पर पन्ने भरे जाते रहे और माहौल बनता रहे कि सब कुछ शानदार है दूसरी तिमाही में रिजर्व बैंक का अनुमान बुरी तरह पिट गया अब तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर नवंबर और दिसंबर के नतीजों के बाद देखेंगे जिसके लिए अनुमान 7.4% बताया गया है क्या 5.4% से 7.4 % यानी 2 % का उछाल आ सकता है 2425 के लिए रिजर्व बैंक ने भारत की जीडीपी के विकास दर का अनुमान 7.2 % बताया पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून में जीडीपी का विकास दर 6.7% था यह भी पिछली पांच तिमाहियों मेंसबसे कम था और जब दूसरी तिमाही का आंकड़ा 5.4 % आया तो उसे पिछली सात तिमाहियों में सबसे कम कहा जा रहा है कहा जा रहा है कि 7 प्र की जीडीपी का विकास दर हासिल करने के लिए भारत को अब अगली दो तिमाहियों में यानी अक्टूबर से लेकर अगले मार्च तक 7.% 8 % की दर से तरक्की करनी होगी जो संभव नहीं लगता है कांग्रेस कहती है अर्थव्यवस्था की हालत खराब है तो सरकार नहीं मानती है रिजर्व बैंक के यह अनुमान सरकार की बात को मजबूत करते हैं कि इतनी हालत खराब नहीं है लेकिन अब तो रिजर्व बैंक का अनुमान ही गलत निकल रहा है ठीक है मैं गणित में कमजोर हूं लेकिन क्या रिजर्व बैंक में भी मेरी तरह गणित में कमजोर लोग बैठे हुए हैं ऐसा तो हो नहीं सकता तो फिर भारत की अर्थव्यवस्था की जो हालत है अप्रैल से लेकर सितंबर तक क्या उसके बारे में भारतीय रिजर्व बैंक सटीक तस्वीर पेश कर रहा था
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